प्याज देश भर में बारहों माह इस्तेमाल होने वाली फसल है। इसकी खेती देश भर में होती है। पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक। अब आपका फसल तैयार है। आप उसे निकालना चाहते हैं। आपको क्या करना चाहिए, ये हम बताते हैं।
जब आप प्याज की फसल निकालने जाएं तो सदैव इस बात का ध्यान रखें कि प्याज और उसके बल्बों को किसी किस्म का नुकसान न हो। आपको बेहद सावधानी बरतनी पड़ेगी। हड़बड़ाएं नहीं। धैर्य से काम लें। सबसे पहले आप प्याज को छूने के पहले जमीन के ऊपर से खींचे या फिर उसकी खुदाऊ करें। बल्बों के चारों तरफ से मिट्टी को धीरे-धीरे हिलाते चलें। फिर जब मिट्टी हिल जाए तब आप प्याज को नीचे, उसकी जड़ से आराम से निकाल लें। आप जब मिट्टी को हिलाते हैं तब जो जड़ें मिट्टी के संपर्क में रहती हैं, वो धीरे-धीरे मिट्टी से अलग हो जाती हैं। तो, आपको इससे साबुत प्याज मिलता है। प्याज निकालने के बाद उसे यूं ही न छोड़ दें। आपके पास जो भी कमरा या कोठरी खाली हो, उसमें प्याज को सुखा दें। कम से कम एक हफ्ते तक। उसके बाद आप प्याज को प्लास्टिक या जूट की बोरियों में रख कर बाजार में बेच सकते हैं या खुद के इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं। प्याज को कभी झटके से नहीं उखाड़ना चाहिए।
आलू देश भर में होता है। इसके कई प्रकार हैं। अधिकांश स्थानों पर आलू दो रंगों में मिलते हैं। सफेद और लाल। एक तीसरा रंग भी हैं। धूसर। मटमैला धूसर रंग। इस किस्म के आलू आपको हर कहीं दिख जाएंगे।
आपका आलू तैयार हो गया। आप उसे निकालेंगे कैसे। कई लोग खुरपी का इस्तेमाल करते हैं। यह नहीं करना चाहिए क्योंकि अनेक बार आधे से ज्यादा आलू खुरपी से कट जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके लिए बांस सबसे बेहतर है, बशर्ते वह नया हो, हरा हो। इससे आप सबसे पहले तो आलू के चारों तरफ की मिट्टी को ढीली कर दें, फिर अपने हाथ से ही आलू निकालें। आप बांस से आलू निकालने की गलती हरगिज न करें। बांस, सिर्फ मिट्टी को साफ करने, हटाने के लिए है।
नए आलू छोटे और बेहद नरम होते हैं। इसमें भी आप बांस वाले फार्मूले का इस्तेमाल कर सकते हैं। आलू, मिट्टी के भीतर, कोई 6 ईंच नीचे होते हैं। इसिलए, इस गहराई तक आपका हाथ और बांस ज्यादा मुफीद तरीके से जा सकता है। बेहतर यही हो कि आप हाथ का इस्तेमाल कर मिट्टी को हटाएं और आलू को निकाल लें।
गाजर बारहों मास नहीं मिलता है। जनवरी से मार्च तक इनकी आवक होती है। बिजाई के 90 से 100 दिनों के भीतर गाजर तैयार हो जाता है। इसकी कटाई हाथों से सबसे बेहतर होती है। इसे आप ऊपर से पकड़ कर खींच सकते हैं। इसकी जड़ें मिट्टी से जुड़ी होती हैं। बेहतर तो यह होता कि आप पहले हाथ अथवा बांस की सहायता से मिट्टी को ढीली कर देते या हटा देते और उसके बाद गाजर को आसानी से खींच लेते। गाजर को आप जब उखाड़ लेते हैं तो उसके पत्तों को तोड़ कर अलग कर लेते हैं और फिर समस्त गाजर को पानी में बढ़िया से धोकर सुखा लिया जाता है।
खीरा एक ऐसी पौधा है जो बिजाई के 45 से 50 दिनों में ही तैयार हो जाता है। यह लत्तर में होता है। इसकी कटाई के लिए चाकू का इस्तेमाल सबसे बेहतर होता है। खीरा का लत्तर कई बार आपकी हथेलियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। बेहतर यह हो कि आप इसे लत्तर से अलग करने के लिए चाकू का ही इस्तेमाल करें।
कुल मिलाकर, फरवरी माह या उसके पहले अथवा उसके बाद, अनेक ऐसी फसलें होती हैं जिनकी पैदावार कई बार रिकार्डतोड़ होती है। इनमें से गेहूं और धान को अलग कर दें तो जो सब्जियां हैं, उनकी कटाई में दिमाग का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करना पड़ता है। आपको धैर्य बना कर रखना पड़ता है और अत्यंत ही सावधानीपूर्वक तरीके से फसल को जमीन से अलग करना होता है। इसमें आप अगर हड़बड़ा गए तो अच्छी-खासी फसल खराब हो जाएगी। जहां बड़े जोत में ये वेजिटेबल्स उगाई जाती हैं, वहां मजदूर रख कर फसल निकलवानी चाहिए। बेशक मजदूरों को दो पैसे ज्यादा देने होंगे पर फसल भी पूरी की पूरी आएगी, इसे जरूर समझें। कोई जरूरी नहीं कि एक दिन में ही सारी फसल निकल आए। आप उसमें कई दिन ले सकते हैं पर जो भी फसल निकले, वह साबुत निकले। साबुत फसल ही आप खुद भी खाएंगे और अगर आप उसे बाजार अथवा मंडी में बेचेंगे, तो उसकी कीमत आपको शानदार मिलेगी। इसलिए बहुत जरूरी है कि खुद से लग कर और अगर फसल ज्यादा है तो लोगों को लगाकर ही फसलों को बाहर निकालना चाहिए।
(देशकेजाने-मानेकृषिवैज्ञानिकोंकीरायपरआधारित)
जनवरी में प्याज की बुआई करने के लिए किसान भाइयों को कितने पहले से क्या क्या तैयारियां की जानी चाहिये? उसके बारे में जानने पर पता चला कि जनवरी में प्याज की बुआई के लिए किसान भाइयों को मध्य अक्टूबर से प्याज की नर्सरी तैयार करनी चाहिये, जो सात सप्ताह में तैयार होती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्याज की नर्सरी में अधिक से अधिक पौधों को तैयार करना प्रमुख कार्य होता है और इससे पैदावार अच्छी होती है।
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कैसे तैयार करें नर्सरी
रबी की प्याज की फसल के लिए नर्सरी करने लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। भूमि ऐसी होनी चाहिये जहां पर पानी न ठहरता हो। उस खेत को अच्छी तरह से जोत लें और उसमें 40-50 किलो सड़ी गोबर की खाद प्रति वर्गमीटर में डालें और उसमें लगभग तीन ग्राम तक कार्बोफ्यूरान नामक दवा मिला लें तो अच्छा रहेगा। बीज की बुआई के लिए कतारें बना लें।
बीज की बुआई करने से पहले उसे कैप्टान या थाइरम से उपचारित कर लें और चार पांच घंटे पहले पानीमें उसे भीगने देंगे तो और भी अच्छा रहेगा। इसके बाद खेत में बनी कतारों में बीज की बुआई करें। बुआई के बाद वर्मी कम्पोस्ट खाद में मिट्टी मिलाकर उसे हल्के से ढक दें तथा नर्सरी को घास-फूस या धान की पुआल से ढक दें। उसके बाद फव्वारे से पानी दें। नर्सरी में जब बीज अंकुरित हो जायें तो ढकने वाली पुआल को हटा दें।
खेत इस प्रकार से तैयार करें
उपजाऊ दोमट मिट्टी प्याज के लिए सबसे अच्छी बतायी जाती है। यदि किसी भूमि में गंधक की मात्रा कम हो तो उसमें 400 किलो जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयार करते समय बुआई से कम से कम 15 दिन पहले मिलायें। खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। जुताई के समय 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद के अलावा 50 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाना चाहिये। इसके बाद 50 किलो नाइट्रोजन रोपाई के एक माह बाद खड़ी फसल में डालें।
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बुआई कैसे करें
प्याज की बुआई दो तरीके से की जाती है। एक पौधों की रोपाई होती है और दूसरी कंदों की बुआई की जाती है।
रोपाई विधि
नर्सरी में तैयार किये गये पौधे जब 7 से 9 सप्ताह के हो जायें तो उन्हें खेत में रोप देना चाहिये। रोपाई करते समय पंक्तियों यानी कतारों की दूरी लगभग छह इंच होनी चाहिये और पौधों से पौधों की दूरी चार इंच होनी चाहिये।
कन्दों की बुआई विधि
प्याज के कन्दों की बुआई डेढ़ फुट की दूरी पर 10 सेंटी मीटर की दूरी पर दोनों तरफ की जाती है। इसमें दो सेंटीमीटर से पांच सेंटीमीटर के गोलाई वाले कन्द को चुनना चाहिये। एक हेक्टेयर में 10क्विंटल कंद लगते हैं।
प्याज की उन्नत किस्में
किसान भाइयों को प्याज की फसल से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिउ उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिये। किसान भाइयों को चाहिये कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्रवार उन्नत किस्मों की सिफारिश को मानें। कृषि वैज्ञानिकों ने तराई, पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र के लिए अलग-अलग उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। उसी के हिसाब से किस्मों का चयन करें।
लाल रंग की प्याज वाली किस्में: भीमा लाल, हिसार-5, भीमा गहरा लाल, हिसार-2, भीमा सुपर, नासिक लाल,पंजाब लाल, लाल ग्लोब, पटना लाल, बेलारी लाल, पूसा लाल, अर्का निकेतन, पूसा रतनार, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, और एल- 1,2,4, इत्यादि प्रमुख है
भंडार करने वाले सफेद रंग की प्याज की किस्में: इस तरह की प्याज को सुखा कर रखा जाता है। इस तरह के प्याज की उन्नत किस्मों में भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफेद, पूसा व्हाइट राउंड, सफेद ग्लोब, पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1 इत्यादि प्रमुख है।
सिंचाई की व्यवस्था
किसान भाइयों को प्याज की फसल लेने के लिए बुआई या रोपाई के 3 या 4 दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिये ताकि मिट्टी में अच्छी तरह से नमी हो सके। जिससे रोपे गये पौधों की जड़ मजबूत हो सके तथा कंद से अंकुर जल्दी से निकल आयें। इसके बाद प्रत्येक पखवाड़े एक बार सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। जब पौधें के सिरे यानी ऊपर की चोटी पीली पड़ने लगे तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिये।
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खरपतवार नियंत्रण
बुआई से पहले रासायनिक इंतजाम करने चाहिये जैसे अंकुर निकलने से पहले प्रति हेक्टेयर डेढ़ से दो किलो तक एलाक्लोर का छिड़काव करे अथवा बुआई से पहले फ्लूक्लोरेलिन का छिड़काव करना चाहिये। वैसे खेत में खरपतवार देखते हुए निराई गुड़ाई करनी चाहिये। आम तौर पर 45 दिन बाद एक बार निराई गुड़ाई अवश्य की जानी चाहिये।
कीट एवं रोग नियंत्रण
प्याज की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप होता है। उनकी रोकथाम अवश्य करनी चाहिये। प्याज में थ्रिप्स पर्णजीवी,तुलासिता, अंगमारी, गुलाबी जड़ सड़न जैसे कीट व रोग का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 एसएल (S.L.) 0.3-05 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कीट नियंत्रण न हो तो 15दिन में दुबारा छिड़काव करें। रोगों के नियंत्रण के लिए मेनकोजेब या जाइनेव का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
फसल की खुदाई
जब पत्तियां पीली होकर जमीन में गिरने लगें तब प्याज की फसल की खुदाई करनी चाहिये।